
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने घोषणा की है कि पार्टी आगामी दिनों में गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में बड़ी रैलियां आयोजित करेगी। इन रैलियों के माध्यम से कांग्रेस भाजपा सरकार की नीतियों और कार्यों का विरोध करेगी और राज्य की जनता को इस सरकार की विफलताओं से अवगत कराएगी।कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार ने राज्य में किसानों, युवाओं, महिलाओं और आम जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया है। प्रदेश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और शिक्षा के स्तर में गिरावट को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि राज्य में विकास के बजाय, भाजपा सरकार अपने राजनीतिक हितों को बढ़ाने में लगी हुई है, जबकि आम जनता की समस्याएं अनसुलझी बनी हुई हैं।कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा ने राज्य के संसाधनों का सही तरीके से उपयोग नहीं किया, जिसके कारण प्रदेश में विभिन्न मुद्दों पर जनता का विश्वास कमजोर हो गया है। इसके साथ ही, कांग्रेस ने राज्य सरकार पर संविदा कर्मचारियों और बेरोजगारों के लिए कोई ठोस कदम उठाने का भी आरोप लगाया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक ने कहा कि भाजपा की सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया और विकास के नाम पर केवल दिखावा किया है।आंदोलन की शुरुआत गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों से की जाएगी, क्योंकि इन क्षेत्रों में कांग्रेस पार्टी का मजबूत आधार है और यहाँ के लोग भाजपा सरकार से बेहद नाराज हैं। कांग्रेस की रैलियों में पार्टी के शीर्ष नेता शामिल होंगे और वह प्रदेशवासियों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को उठाएंगे।कांग्रेस नेताओं का यह भी कहना है कि इन रैलियों के माध्यम से वे राज्य की जनता को यह संदेश देंगे कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार आती है, तो वह विकास, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। कांग्रेस का यह भी कहना है कि वह उत्तराखंड की पहचान और संस्कृति को बचाने के लिए भी संघर्ष करेगी।कांग्रेस के इस आंदोलन को लेकर राज्य की राजनीति में गर्माहट आ गई है। भाजपा ने इसे कांग्रेस का चुनावी पैंतरा बताया है और कहा है कि कांग्रेस के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसलिए वह इन रैलियों के माध्यम से जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।प्रदेश की राजनीति में यह ताजातरीन हलचल आगामी विधानसभा चुनावों के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कांग्रेस के इस कदम से भाजपा के लिए चुनौती बढ़ गई है और राज्य की राजनीतिक तस्वीर में बदलाव आने की संभावना जताई जा रही है।