
देहरादून | हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है। इसी के मद्देनज़र देहरादून से हर साल पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं का जत्था इस बार नहीं भेजा जाएगा। यह पहला मौका है जब पिछले 15 वर्षों से लगातार चल रही यह धार्मिक यात्रा रद्द कर दी गई है। यात्रा रद्द करने का निर्णय सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन और सिख संगठनों की आपसी सहमति से लिया गया है।देहरादून से हर साल दर्जनों श्रद्धालु पाकिस्तान के ननकाना साहिब, पंजा साहिब, करतोपुर साहिब और अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन के लिए रवाना होते हैं। यह यात्रा भारत-पाक वीज़ा प्रक्रिया, इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड और दोनों देशों के धार्मिक संगठनों की देखरेख में होती है। लेकिन इस बार पहलगाम हमले और उससे उत्पन्न हुए सुरक्षा तनाव ने पूरे मामले को संवेदनशील बना दिया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अलर्ट के बाद, उत्तराखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और जिला प्रशासन ने मिलकर फैसला लिया कि इस बार जत्था भेजना श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज़ से उचित नहीं होगा।उत्तराखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि जत्थे में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को सूचना दे दी गई है और उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय अस्थायी है और हालात सामान्य होने पर भविष्य में यात्रा पुनः शुरू की जाएगी। वहीं श्रद्धालु भी सरकार के इस निर्णय का सम्मान कर रहे हैं, हालांकि उनमें निराशा भी साफ झलक रही है क्योंकि वे लंबे समय से इस यात्रा की तैयारी कर रहे थे।सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि भारत-पाक सीमा पर तनाव के हालात को देखते हुए किसी भी प्रकार की धार्मिक यात्रा में खतरे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से जब हाल ही में हुए हमले में आतंकियों द्वारा सेना की वर्दी का उपयोग कर सुरक्षा तंत्र को चकमा दिया गया। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार जाने वाले किसी भी भारतीय नागरिक की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण बन जाती है।इस फैसले को लेकर राजनीतिक और धार्मिक गलियारों में भी चर्चा तेज हो गई है। कुछ नेताओं ने इस निर्णय को आवश्यक और समयानुकूल बताया है, वहीं कुछ का मानना है कि धार्मिक यात्राओं को सुरक्षा इंतज़ामों के साथ जारी रखा जाना चाहिए ताकि आपसी धार्मिक सौहार्द बना रहे।बहरहाल, यह स्पष्ट है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में कई परंपराएं और आयोजन अस्थायी रूप से प्रभावित हुए हैं। दून से पाकिस्तान गुरुद्वारा यात्रा का रद्द होना न केवल एक धार्मिक कार्यक्रम के ठहराव का प्रतीक है, बल्कि यह इस बात का भी प्रमाण है कि देश की सुरक्षा स्थिति कितनी संवेदनशील हो चुकी है।