
उत्तराखंड में जंगलों में आग का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से वनाग्नि की घटनाओं की चिंताजनक खबरें सामने आ रही हैं। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बीते 24 घंटे के भीतर ही करीब 30 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आकर जलकर राख हो गया। वहीं, पूरे वनाग्नि सीजन में अब तक 112 अलग-अलग स्थानों पर आग लगने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं, जिससे प्रदेश के वन विभाग और प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। गर्मी के बढ़ते प्रकोप और वातावरण में लगातार गिरती नमी के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस समय प्रदेश के कई जंगलों में आग पर काबू पाने के प्रयास जारी हैं, लेकिन कठिन भूगोल और तेज हवाओं के चलते आग बुझाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, इन घटनाओं में अब तक कुल सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि प्रभावित हो चुकी है। आग के कारण न केवल वन संपदा को भारी नुकसान हुआ है, बल्कि जैव विविधता और पर्यावरण पर भी गहरा असर पड़ा है। कई क्षेत्रों में दुर्लभ प्रजातियों के वनस्पति और जीव-जंतु भी आग की चपेट में आकर नष्ट हो चुके हैं। प्रशासन और वन विभाग द्वारा आग पर काबू पाने के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं। हेलीकॉप्टरों की मदद से पानी का छिड़काव भी कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में किया जा रहा है। इसके अलावा स्थानीय नागरिकों और स्वयंसेवी संगठनों से भी मदद ली जा रही है ताकि आग को और फैलने से रोका जा सके। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी इस गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई और राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के लिए सभी आवश्यक संसाधनों को जुटाया जा रहा है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी यदि किसी भी आगजनी की घटना में मानवीय लापरवाही सामने आती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते इस समस्या पर काबू नहीं पाया गया तो इससे जलवायु परिवर्तन पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। जंगलों का विनाश वर्षा चक्र, जल स्रोतों और जीव-जंतुओं की प्रवृत्ति पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
वन विभाग ने आम जनता से अपील की है कि वे जंगलों में किसी भी प्रकार की असावधानी न बरतें, जलती हुई बीड़ी-सिगरेट, आग की चिंगारी आदि न फेंकें, और यदि कहीं आग लगती दिखाई दे तो तुरंत नजदीकी वन अधिकारी को सूचित करें।
स्थिति गंभीर है, लेकिन अगर प्रशासन और जनता मिलकर प्रयास करें तो इस प्राकृतिक आपदा पर समय रहते नियंत्रण पाया जा सकता है।